शशि थरूर की दो टूक: 'भारत सर्वोपरि, पार्टी माध्यम भर है'
कोच्चि में खुले मंच से छात्रों के सवाल पर स्पष्ट विचार कांग्रेस सांसद शशि थरूर कोच्चि के एक हाई स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए, जहां एक छात्र ने उनसे उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा को लेकर सवाल किया।

कोच्चि में खुले मंच से छात्रों के सवाल पर स्पष्ट विचार कांग्रेस सांसद शशि थरूर कोच्चि के एक हाई स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए, जहां एक छात्र ने उनसे उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा को लेकर सवाल किया। इस पर थरूर ने बेबाकी से कहा कि भारत सर्वोपरि है, और राजनीतिक पार्टियां राष्ट्र को बेहतर बनाने का माध्यम मात्र हैं। थरूर ने यह जवाब न केवल मंच से दिया, बल्कि सोशल मीडिया पर वीडियो भी साझा किया, जिससे उनके बयान को व्यापक सराहना और आलोचना दोनों मिली।
राष्ट्रीय हित पहले:
सरकार और सेना के समर्थन पर कायम थरूर ने कहा कि कई बार उनके बयान या कृत्य से पार्टी को लगता है कि उनकी निष्ठा कमज़ोर हो रही है, लेकिन वह राष्ट्रीय हितों को सबसे ऊपर रखते हैं। उन्होंने साफ किया कि सशस्त्र बलों और सरकार का समर्थन उनके लिए भारत की सुरक्षा और सम्मान से जुड़ा हुआ है, और ऐसे मामलों में उन्हें किसी भी राजनीतिक आलोचना की परवाह नहीं है।
नेहरू का संदर्भ: कांग्रेस को आईना?
अपने वक्तव्य के दौरान थरूर ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का हवाला देते हुए कहा, "अगर भारत ही मर जाएगा, तो फिर कौन जिंदा बचेगा?" उन्होंने इसे दोहराते हुए संकेत दिया कि देश की संप्रभुता और एकता पार्टी राजनीति से कहीं बड़ी है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कथन कांग्रेस को अप्रत्यक्ष रूप से चेतावनी या आत्मनिरीक्षण की सलाह भी हो सकता है।
संसद में एकता की बात:
मतभेद भुलाकर काम करने की ज़रूरत थरूर ने संसद और राष्ट्रीय मंचों पर सभी दलों से आह्वान किया कि वे देशहित और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर राजनीतिक मतभेद भुलाकर एकजुट हों। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में बहस ज़रूरी है, लेकिन जब विषय भारत की अखंडता और सुरक्षा का हो, तब हमें एक स्वर में खड़ा होना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा:
ऊर्जा और वैश्विक छवि की सराहना थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत ऊर्जा, वैश्विक मंचों पर उनकी सक्रियता और इच्छाशक्ति की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इन गुणों ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का एक 'प्राइमरी एसेट' बना दिया है। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह प्रशंसा राष्ट्रहित में है, न कि किसी दल विशेष की वकालत।
राजनीतिक वफादारी पर सवाल:
आलोचना के बीच अडिग विचार थरूर ने कांग्रेस के भीतर उनकी आलोचना पर कहा कि पार्टी के कुछ लोग उनकी राष्ट्रवादी सोच को वफादारी में कमी मानते हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि जब वह 'भारत' की बात करते हैं, तो उसमें सभी भारतीय शामिल होते हैं—न कि केवल वे या उनकी पार्टी। उनका उद्देश्य एक बेहतर भारत बनाना है, जो सभी के हितों की रक्षा करता है।
सवाल सार्वजनिक, जवाब भी स्पष्ट
शशि थरूर ने स्पष्ट किया कि वे आमतौर पर ऐसे मुद्दों को सार्वजनिक मंच पर नहीं लाना चाहते, लेकिन जब छात्र ने सवाल किया तो उन्होंने उसे टालना उचित नहीं समझा। उनके अनुसार, युवाओं को ईमानदारी से जवाब देना ज़रूरी है, ताकि वे राजनीति और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार दृष्टिकोण विकसित कर सकें।
राष्ट्र सर्वोपरि की सोच का प्रतिनिधित्व
थरूर के बयान इस ओर संकेत करते हैं कि वह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देशहित की बात करना चाहते हैं। उनके अनुसार, कोई भी राजनीतिक दल केवल एक माध्यम है, अंतिम लक्ष्य एक समृद्ध, सुरक्षित और सम्मानजनक भारत का निर्माण होना चाहिए। यह विचारधारा आज के समय में प्रासंगिक है, जब राजनीतिक विमर्श अक्सर व्यक्तिगत या दलगत हितों में उलझ जाता है।
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