मैनचेस्टर टेस्ट में दिखा जज़्बा, चोट के बावजूद बल्लेबाज़ी करने उतरे  ऋषभ पंत

मैनचेस्टर टेस्ट में भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज़ ऋषभ पंत ने अपनी जुझारू मानसिकता और टीम के प्रति समर्पण की मिसाल पेश की। पहले दिन फील्डिंग के दौरान रिवर स्वीप करते

Jul 24, 2025 - 20:03
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मैनचेस्टर टेस्ट में दिखा जज़्बा, चोट के बावजूद बल्लेबाज़ी करने उतरे  ऋषभ पंत

मैनचेस्टर टेस्ट में भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज़ ऋषभ पंत ने अपनी जुझारू मानसिकता और टीम के प्रति समर्पण की मिसाल पेश की। पहले दिन फील्डिंग के दौरान रिवर स्वीप करते हुए उन्हें दाहिने पैर में गंभीर चोट लग गई थी। इसके बाद यह घोषणा कर दी गई थी कि पंत इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज़ से बाहर हो गए हैं और उन्हें कम से कम छह हफ्तों तक मैदान से बाहर रहना होगा। लेकिन दूसरे दिन पंत टीम की ज़रूरत के समय बल्लेबाज़ी करने उतर आए, जिससे दर्शकों और साथी खिलाड़ियों में एक नई ऊर्जा भर गई।

अनिल कुंबले की तरह पंत ने भी दिलाया जख्मी योद्धा की याद

ऋषभ पंत की यह हिम्मत भारत के पूर्व महान गेंदबाज़ अनिल कुंबले की याद दिलाती है। 2002 में एंटीगुआ टेस्ट में जब कुंबले का जबड़ा टूट गया था, तब भी उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 14 ओवर गेंदबाज़ी की थी। कुंबले की वह तस्वीर आज भी भारतीय क्रिकेट की सबसे प्रेरणादायक छवियों में शामिल है। अब ऋषभ पंत भी उसी साहसिक परंपरा में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने न केवल खेलने का फैसला किया, बल्कि मैदान पर उतर कर रन भी बनाए।

ड्रेसिंग रूम से मैदान तक: दर्शकों ने किया पंत का स्वागत

दूसरे दिन जैसे ही भारतीय पारी 300 रन के पार पहुंची, ड्रेसिंग रूम से पंत का चेहरा कैमरे में दिखा। भारतीय जर्सी में उनका यह दृश्य जैसे ही स्टेडियम में मौजूद लोगों ने देखा, पूरा माहौल तालियों से गूंज उठा। जब शार्दुल ठाकुर 41 रन बनाकर आउट हुए, तो पंत अपने बल्ले के साथ मैदान पर उतरे। दर्शकों ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। उनकी आंखों में टीम के लिए कुछ कर गुजरने का जुनून साफ झलक रहा था।

चोटिल होने के बावजूद मैदान में डटे रहे, फिर एम्बुलेंस से ले जाया गया अस्पताल
बुधवार को चोट लगने के बाद ऋषभ पंत की स्थिति बल्लेबाज़ी करने लायक नहीं थी। फिर भी, उन्होंने खतरे उठाते हुए बल्लेबाज़ी की। एक मौके पर, क्रिस वोक्स की गेंद पर स्वीप खेलने की कोशिश में वह असहज हो गए। इसके बाद उन्हें गोल्फ कार्ट में बिठाकर मैदान से बाहर ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद, पंत को एम्बुलेंस में अस्पताल भेजा गया। उनके साथ टीम के डॉक्टर, बल्लेबाज़ी कोच सीतांशु कोटक और शुभमन गिल मौजूद थे।

बैसाखी के सहारे लौटे, लेकिन हौसला बरकरार

दूसरे दिन जब भारतीय टीम स्टेडियम पहुंची, तो पंत भी बैसाखी के सहारे नजर आए। उनके दाहिने पैर में विशेष प्रकार का उपचारात्मक जूता लगा हुआ था। इसके बावजूद उन्होंने दोबारा बल्लेबाज़ी करने का इरादा जताया और मैदान पर उतर आए। लंच से पहले उन्होंने दो और रन जोड़े और हर रन के बाद दर्शकों से तालियों के जरिए समर्थन प्राप्त किया। यह क्रिकेट की उस भावना को दर्शाता है, जिसमें खिलाड़ी खुद को भुलाकर देश के लिए सब कुछ देने को तैयार होता है।

नेटिज़न्स की प्रतिक्रिया: 'पंत सिर्फ खिलाड़ी नहीं, योद्धा हैं'

ऋषभ पंत की इस बहादुरी की सोशल मीडिया पर जमकर सराहना हो रही है। एक यूज़र ने लिखा, "पंत केवल खिलाड़ी नहीं, योद्धा हैं। उन्होंने सभी को चौंका दिया।" दूसरे फैन ने कहा, "इस तरह का जज़्बा ही टेस्ट क्रिकेट को महाकाव्य बनाता है।" यह घटना पंत की खेल भावना और जिम्मेदारी के प्रति उनके समर्पण की सशक्त मिसाल है।

भारतीय पारी मज़बूत स्थिति में, पंत और सुंदर क्रीज़ पर

दूसरे दिन रवींद्र जडेजा के जल्दी आउट होने के बावजूद शार्दुल ठाकुर और वाशिंगटन सुंदर ने भारत की पारी को संभाला और स्कोर को 300 के पार पहुंचाया। बारिश के कारण दिन का खेल जल्दी रोका गया। लंच तक भारत का स्कोर 6 विकेट पर 321 रन था। क्रीज़ पर पंत 39 रन और सुंदर 20 रन बनाकर डटे हुए हैं।

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