19 वर्षीय दिव्या देशमुख बनीं भारत की पहली महिला शतरंज विश्व चैंपियन

भारत को उसकी पहली महिला शतरंज विश्व चैंपियन मिल गई है—और वह हैं सिर्फ 19 साल की दिव्या देशमुख। सोमवार को हुए फाइनल में दिव्या ने 38 वर्षीय दिग्गज खिलाड़ी कोनेरू

Jul 28, 2025 - 20:21
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19 वर्षीय दिव्या देशमुख बनीं भारत की पहली महिला शतरंज विश्व चैंपियन

भारत को उसकी पहली महिला शतरंज विश्व चैंपियन मिल गई है—और वह हैं सिर्फ 19 साल की दिव्या देशमुख। सोमवार को हुए फाइनल में दिव्या ने 38 वर्षीय दिग्गज खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को रोमांचक टाईब्रेकर में मात दी। इस ऐतिहासिक जीत के साथ दिव्या ने हम्पी जैसी अनुभवी ग्रैंडमास्टर को हराकर नया इतिहास रच दिया।


शनिवार और रविवार को खेले गए दो क्लासिकल मुकाबले ड्रॉ रहे, जिससे खेल टाईब्रेकर तक पहुंच गया। क्लासिकल फॉर्मेट में खिलाड़ियों को शुरुआती 40 चालों के लिए 90 मिनट और फिर अतिरिक्त 30 मिनट मिलते हैं, हर चाल के बाद 30 सेकंड बढ़त के साथ। दोनों खिलाड़ियों ने सतर्कता से खेलते हुए कोई बड़ा जोखिम नहीं लिया, और बराबरी पर रहीं।

 पहले रैपिड गेम में ड्रॉ, दिव्या ने सफेद मोहरों से खेला 'पेट्रोव्स डिफेंस'

टाईब्रेकर में पहले रैपिड गेम में दिव्या ने सफेद मोहरों से खेलते हुए 'पेट्रोव्स डिफेंस' से शुरुआत की। दोनों ही खिलाड़ी तेज़ी से चालें चल रही थीं, लेकिन कोई निर्णायक बढ़त नहीं ले सका। खेल काफी संतुलित रहा और ड्रॉ पर समाप्त हुआ।

दूसरे रैपिड गेम में हम्पी की घड़ी ने किया धोखा

दूसरे रैपिड गेम में हम्पी ने सफेद मोहरों से 'क्वींस गैम्बिट' खेलते हुए शुरुआत की, लेकिन वह समय प्रबंधन में पिछड़ गईं। दूसरी ओर, दिव्या ने तेज़ चालें चलकर हम्पी पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना दिया। एक समय ऐसा आया जब दिव्या के पास हम्पी से 8 मिनट अधिक समय था। दबाव में आकर हम्पी ने एक भारी भूल की, जिसका दिव्या ने फायदा उठाते हुए 34 चालों में गेम अपने नाम कर लिया।

अनुभव बनाम आक्रामकता में जीती युवा ऊर्जा

दिव्या अनुभव में भले ही हम्पी से काफी पीछे थीं, लेकिन उनकी आक्रामक रणनीति ने उन्हें जीत दिला दी। दूसरी ओर, हम्पी ने अधिक रक्षात्मक रवैया अपनाया, जो अंततः उनके खिलाफ गया। मैच जीतने के बाद दिव्या अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं और रो पड़ीं। यह पल भारतीय शतरंज इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया।

 हम्पी ने क्लासिकल गेम में ली थी बढ़त

शनिवार को खेले गए पहले क्लासिकल गेम में दिव्या ने 'क्वींस गैम्बिट' से शुरुआत की। हम्पी ने कुछ समय तक दबदबा बनाए रखा, लेकिन दिव्या ने दृढ़ता दिखाई और मैच ड्रॉ कराने में सफल रहीं। रविवार को, हम्पी ने 'A06 ज़करटॉर्ट ओपनिंग' से शुरुआत की, लेकिन उन्होंने जोखिम लेने से परहेज किया, जबकि दिव्या लगातार आक्रामक रहीं। दो क्लासिकल मुकाबलों के बाद स्कोर 1-1 रहा।

 भारतीय शतरंज में नया युग

दिव्या देशमुख की यह जीत सिर्फ एक खिताब नहीं है, यह भारतीय महिला शतरंज के लिए एक नई दिशा और उम्मीद का प्रतीक है। हम्पी जैसे दिग्गज को हराना आसान नहीं था, लेकिन दिव्या ने दृढ़ता, रणनीति और आत्मविश्वास के साथ यह कर दिखाया। अब जब दिव्या विश्व चैंपियन बन चुकी हैं, दुनिया को भारत की नई शतरंज रानी का नाम याद रखना होगा।

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