एकनाथ शिंदे की हुई शिवसेना, उद्धव के हाथ लगी मायूसी
चुनाव आयोग के फैसले ने आज महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया। शिव सेना के सिम्बल पर चल रहे विवाद का आज अंत हो गया. चुनाव आयोग ने अपने फैसले में एकनाथ शिंदे को शिव सेना का सिम्बल दे दिया। इस फैसले से जहां शिंदे गुट में खुशियों की लहर छा गई है वही उद्धव ठाकरे की राजनैतिक भविष्य पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है.

चुनाव आयोग के फैसले ने आज महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया। शिव सेना के सिम्बल पर चल रहे विवाद का आज अंत हो गया. चुनाव आयोग ने अपने फैसले में एकनाथ शिंदे को शिव सेना का सिम्बल दे दिया। इस फैसले से जहां शिंदे गुट में खुशियों की लहर छा गई है वही उद्धव ठाकरे की राजनैतिक भविष्य पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है.
महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य में त्रिशंकु की स्थिति बन गई थी. कोई भी पार्टी बहुमत से अपनी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं था. जिसके बाद राजनैतिक उठा पटक चली और शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर सबको चौकते हुए सरकार बनाई थी. भाजपा इस सबमें अपने आप को ठगा महसूस कर रही थी. भाजपा की राज्य इकाई के शीर्ष नेताओं का कहना था कि यह सरकार ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती क्यूक कि इस सरकार ने जनता के आदेश को ठगा है.
महाअघाड़ी गठबंधन का अस्तित्व हुआ और शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर सरकार बनाई। लेकिन यह सरकार ज़्यादा दिनों तक चल नहीं पाई और शिव सेना के विधायकों का एक धड़ा एकनाथ शिंदे की अगुआई में उद्धव ठाकरे की परछाई से बाहर निकल गया. जिससे महाअघाड़ी गठबंधन की सरकार गिर गई और शिवसेना से छिटके विधायकों ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली.
इसी घटना के बाद से शिव सेना का असली उत्तराधिकारी कौन है इस पर दोनों धड़ों में उठा पटक होने लगी. पार्टी के सिम्बल पर चुनाव आयोग में शिकायत हुई. आज उसी को लेकर चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुनाया।
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