लखनऊ नगर निगम में एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें मेयर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त गौरव कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मेयर ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर
लखनऊ नगर निगम में एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें मेयर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त गौरव कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मेयर ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर 4 अगस्त तक जवाब देने का निर्देश दिया है। विवाद की शुरुआत तब हुई जब एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में मेयर को आमंत्रित नहीं किया गया और अधिकारियों के कार्य विभाजन में उनकी राय को नजरअंदाज किया गया। मेयर ने इसे प्रशासनिक प्रक्रिया और प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताया है।
मेयर को कार्यक्रम में नजरअंदाज करना था बड़ा कारण मेयर सुषमा खर्कवाल का कहना है कि लखनऊ नगर निगम द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति अनिवार्य थी, क्योंकि वह लखनऊ की प्रथम नागरिक हैं। कार्यक्रम शहर के विकास और स्वच्छता अभियान से जुड़ा हुआ था, जिसमें कई वरिष्ठ अधिकारी और स्थानीय नेता उपस्थित थे। मेयर ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना सूचना के कार्यक्रम से बाहर रखा गया, जो प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।
नगर आयुक्त पर लगातार नजरअंदाज करने का आरोप मेयर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त गौरव कुमार पर बार-बार उन्हें नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "कार्यक्रमों में मेरी उपस्थिति आवश्यक है और मुझे नजरअंदाज करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।" इसके अलावा, मेयर ने अधिकारियों के कार्य विभाजन में उनके साथ विचार-विमर्श न किए जाने को प्रशासनिक पारदर्शिता की कमी बताया है। मेयर के करीबी सूत्रों के अनुसार, इस तरह की घटनाओं से सुषमा खर्कवाल निराश हो चुकी थीं और उन्होंने अब कड़ा रुख अपनाया है।
मेयर ने नगर आयुक्त को लिखा कड़ा पत्र मेयर सुषमा खर्कवाल ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए नगर आयुक्त को एक औपचारिक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने दो प्रमुख सवाल उठाए: पहला, क्या कार्यक्रम में मेयर की उपस्थिति आवश्यक थी? और दूसरा, क्या कार्य विभाजन के दौरान मेयर के साथ विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था? मेयर ने पत्र में 4 अगस्त तक लिखित जवाब देने की मांग की और चेतावनी दी कि यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो वह इस मामले को उच्च अधिकारियों और शासन के समक्ष उठाएंगी।
पूर्व में भी रही है मेयर और नगर आयुक्त के बीच तनातनी यह पहली बार नहीं है जब मेयर और नगर आयुक्त के बीच मतभेद उभरे हैं। पिछले साल भी स्वच्छता अभियान और जलभराव जैसे मुद्दों पर दोनों के बीच विवाद हुआ था। अक्टूबर 2024 में, मेयर ने नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए उनकी शिकायत शासन से की थी। जानकारों का मानना है कि मेयर और प्रशासन के बीच तालमेल की कमी अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगी है।
लखनऊ नगर निगम के भीतर मेयर और नगर आयुक्त के बीच चल रहे विवाद से यह साफ हो गया है कि प्रशासनिक कार्यों में तालमेल की कमी हो सकती है। मेयर सुषमा खर्कवाल का यह कदम उनके अधिकारों की रक्षा और प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता की ओर एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।