संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर 25 घंटे की चर्चा तय, विपक्ष ने पीएम और मंत्रियों की मौजूदगी की मांग की
21 जुलाई, मंगलवार को शुरू हुआ संसद का मानसून सत्र पहले ही दिन विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया। विपक्षी दलों ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग को लेकर लोकसभा में जोरदार प्रदर्शन किया।

21 जुलाई, मंगलवार को शुरू हुआ संसद का मानसून सत्र पहले ही दिन विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गया। विपक्षी दलों ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग को लेकर लोकसभा में जोरदार प्रदर्शन किया।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मुद्दे पर चर्चा की सहमति तो जताई, लेकिन विपक्षी दलों ने उनकी बात नहीं मानी और सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित होती रही।
बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ने तय किया चर्चा का समय
सत्र की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक आयोजित की गई, जिसमें यह तय किया गया कि लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे चर्चा की जाएगी। यानी दोनों सदनों में कुल 25 घंटे इस अहम मुद्दे पर बहस होगी।
इसके साथ ही कमेटी ने सत्र के दौरान अन्य विषयों पर चर्चा की भी समय सीमा तय कर दी है, ताकि कार्यवाही सुनियोजित और व्यवस्थित रूप से हो सके।
मणिपुर बजट और आयकर बिल पर भी चर्चा का समय निर्धारित
कमेटी की बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि मणिपुर राज्य के बजट पर 2 घंटे की चर्चा होगी। इसके अलावा लोकसभा में आयकर संशोधन विधेयक पर 12 घंटे तक चर्चा की अनुमति दी गई है। राष्ट्रीय खेल विधेयक को लेकर भी 8 घंटे का समय तय किया गया है। इस तरह सत्र में सरकार और विपक्ष दोनों को विस्तृत चर्चा का मौका मिलेगा।
अंतरिक्ष मिशन पर भी होगी विशेष चर्चा
बैठक में यह भी तय हुआ कि सदन में शुभांशु शुक्ला के नेतृत्व वाले अंतरिक्ष मिशन पर भी चर्चा होगी। यह मिशन हाल के महीनों में भारत की अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक बना है और संसद में इसकी उपलब्धियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
विपक्ष की मांग: चर्चा में पीएम
बैठक में मौजूद विपक्षी नेताओं ने यह मांग की कि ऑपरेशन सिंदूर पर होने वाली चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की सदन में मौजूदगी अनिवार्य की जाए। इस मांग का समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी समर्थन किया। विपक्ष का कहना है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर सरकार को प्रत्यक्ष जवाबदेही दिखानी चाहिए।
कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
कांग्रेस संसदीय दल के डिप्टी लीडर गौरव गोगोई ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा को लेकर गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को भरोसे में लिए बिना चर्चा की योजना बनाना सरकार की एकतरफा कार्यप्रणाली को दर्शाता है। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार सदन की गरिमा को ठेस पहुंचा रही है और संवेदनशील मुद्दों पर जवाबदेही से बच रही है।
राहुल गांधी बोले- नेता प्रतिपक्ष को बोलने नहीं दिया गया
सत्र के पहले दिन ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में अपनी बोलने की अनुमति न मिलने को लेकर सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में नेता प्रतिपक्ष को बोलने का अधिकार होना चाहिए, लेकिन भाजपा ऐसा नहीं होने दे रही। इस पर सदन की अध्यक्षता कर रहे सांसद जगदंबिका पाल ने स्पष्ट किया कि हर सवाल का जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी है और वह इसके लिए पूरी तरह तैयार है।
सत्र में टकराव के आसार, लेकिन चर्चा को मिला समय
संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ही यह साफ हो गया है कि सरकार और विपक्ष के बीच तनावपूर्ण माहौल बना रहेगा। हालांकि, बिजनेस एडवाइजरी कमेटी ने स्पष्ट समय सीमा तय कर सत्र को रचनात्मक दिशा देने की कोशिश की है। अब यह देखना होगा कि सदन में विपक्ष को अपना पक्ष खुलकर रखने का मौका मिलता है या नहीं, और सरकार संवेदनशील मुद्दों पर किस हद तक संवाद के लिए तैयार है।
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